बाल गीत (तेलुगु मूल - श्रीश्री : शैशव गीति)
बाल गीत (तेलुगु मूल - श्रीश्री : शैशव गीति)
दामिनी चमके तो, पानी बरसे तो,
अंबर में इंद्र धनुष बने तो, समझते हैं वे सब अपने लिए
हरे भरे मैदानों मे
कमल फूल के तालाबों में
फल भरे भगीचों में,
पिता की संग में, माँ की गोद में
मुँह में अंगुलियाे रख कर
गुलाब गालों से
जहाँ देखो वहाँ तुम
विश्वरूप से विचरण करते
तुम ही विश्व भाग्य रेखाएं
आपकी हांस में चमकेगी
आये दिनों के सुप्रभात
मंत्र कवाट खोल कर आती रानी बसंत
अग्नि श्वास उगलते आती ग्रीष्म ऋतु
झरने, मैदानों, कस्बे, तालाबों को एकत्रित करते हुए बरसात
शुभ्र कौमुदी चाँदनी रातें हिम से शोभित हेमंत ठंड लगती शिशिर
आती जाती आँखमिचौनी खेलेगी तेरे लिए तेरे लिए
सूरज अंबर में रहेगा फूल खिलेगा पवन चलेगा आज सा हमेसा
मुझे दिखाई पडी तरह तरह के सितारे, रंग बिरंगे अनंत रोचक
दिशा दिशा में दिव्य गीत आपही इनके वारिस
झिलमिल चमके झिलमिल चमके .......
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