मीरा के प्रभु गिरिधर नागर (कृष्ण प्रेमिका)
- बी. विश्वनाथाचारी
हर दिन कितने लोगों को देखती हूँ ?
मगर तेरे दर्शन से मन तऩ्मयत से झूम उठता है ।
हर दिन कितने लोगों से बोलती हूँ ?
मगर तेरे सम्मुख बोलने से मन उल्लसित होता है ।
हर दिन बहुत लोगों की याद आती है ।
मगर तेरे खयाल आने से मन आनंदित होता है ।
तेरे चेहरे का सौंदर्य
तेरे वचनों का माधुर्य
तेरे चलन का लालित्य
मेरे मन को बांध देते हैं
मेरे मौन को तोड देते हैं ।
हे प्रियतम प्रभु !
मुझे सदा इस मधुर भावना से
तेरे चरणों के पास
जिंदगी बिताने का वर दो ।
Comments
Post a Comment