आज हिन्दी साहित्यकार प्रताप नारायण मिश्र का जन्म दिन


(जन्म : 24.09.1856   -     निधन  : 06.07.1894) 

   प्रताप नारायण मिश्र का जन्म  उत्तर प्रदेश जिले में बैजे गाँव  में हुआ था । पिता संकठा प्रसाद एक विख्यात ज्योतिषी थे । वे मिश्र जी को भी ज्योतिषी के रूप में देखना चाहा ।  लेकिन मिश्र जी को उस विषय पर मन नहीं लगा । स्कूली शिक्षा पर भी ध्यान नहीं रख सके । पिता की मृत्यु के बाद, उनकी  स्कूली शिक्षा समाप्त हुई । परंतु आप अपने प्रतिभा और स्वाध्याय  से संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त किया । हि्ंदी,उर्दू एवं बँगला पहले से जानते थे ।

       मिश्र जी अपने विद्यार्थी जीवन में ही  ' कवि वचन सुधा  ' गद्य पद्य मय लेखों का पाठ करते हुए हिेदी के प्रति आक़ृष्ट हुए । उस समय में आपने  गायकों की टोली में आशु रचना करते हुए तथा रामलीला में अभिनय करते हुए, उन लोगों से काव्य रचना की शिक्षा प्राप्त किया और स्वयं मौलिक रचनाएँ करना आरंभ किया ।

       मिश्र जी   भारतेंदु हरिश्चंद्र की ओर आकर्षित हु्ए आैर खडी़ बोली हिंदी को अपनाया । आप भारतेंदु के प्रति अत्यंत श्रद्धावान रहे  । उस समच में मिश्र जी की  ' प्रेमपुष्पावली '  प्रकाशित हुई और इसे देखकर भारतेंदु ने उसकी प्रशंसा की और इससे मिश्र जी का उत्साह दुगुना हुआ ।  इतना ही नहीं, उनकी रचना शैली भी भारतेंदु जैसी है । उऩ्होंने अपने में भारतेंदु को उतार दिया ।  इसी वजह से उन्हे ' प्रति-भारतेंदु ' तथा' द्वितीय हरिश्चंद्र' मानते थे ।  प्रताप नारायण मिश्र जी ने  खडी़ बोली हिंदी को अपनाकर, हिंदी साहित्य को सुसंपन्न किया । खडी़ बोली को आधुनिक हिेदी भाषा के रूप देने में मिश्र जी का योगदान महत्वपूर्ण है । 38 वर्ष की अल्प आयु में ही कान्पूर में  मिश्र जी का निधन हो गया ।
  
       मिश्र जीने निबंध, नाटक, कविता आदि विविध विधाओं मेे रचनाएँ की । गद्य और पद्य में मिश्र जी की व्यंग पूर्ण शैली अपूर्व है । आपने   उन्होंने ' दांत, भौ,धोखा, बात, बु़डा़पा, मूंच, ट और द  '  जैसे सामाऩ्य  विषयों पर चमत्कारपूर्ण एवं प्रभावी निबंध लिखे है ।

उदाहरण के तौर पर  ' धोखा ' निबंध में  -   ' दो-एक बार धोखा खाके धोखेबाजों की हिकमते सीख लो, और कुछ अपनी ओर से झपकी-फूँदनी जोडकर उसी की जूती उसी का सर कर दिखाओ, तो बडे भारी अनुभवशील, वरंच, गुरु गुड ही रहा चेला शक्कर हो गया का जीवित उदाहरण कहलाओगे । यदि इतना न फटकने दो तो भी भविष्य के लिए हानि और कष्ट से बच जाओगे ।  ' 

इसी प्रकार  ' बात ' निबंध में  -  ' बडी बात. छोटी बात. सीधी बात, टेढी बात, खरी बात, खोटी बात, मीठी बात, कड़वी बात,भली बात,बुरी बात, सुहाती बात, लगती बात इत्यादि सब बात तो हैं ?  बात के काम भी इसी भाँति अनेक दखने में आते हैं ।  ' 

 प्रमुख रचनाएं : पंचामृत, मानस विनोद, होली है, हठी हमीर, प्रेम- पुष्पावली, दंगल-खंड, श्रृंगार विलास, निबंध नवनीत  आदि ..

नाटक : हठी हमीर, भारत दुर्दशा, गोसंकट, कलिकौतुक, जुआरी- खुआरी(प्रहसन),संगत शाकुंतल,
निबंध संग्रह  निबंध नवनीत,  प्रताप पीयूष, प्रताप समाक्षा
कविता  प्रेम- पुष्पावली, दंगल-खंड, मन की लहर, तृप्य,
अनूदित गद्य कृतियां :  पंचामृत, अमरसिंह, राजसिंह राधारानी, इंदिरा,चरिताष्टक, नीतिरत्नमाला




                

    
 

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