स्वप्न .....
बी. विश्वनाथाचारी
आओ मेरे साथियो ...
मैंने एक स्वप्न देखा ।
वहाँ प्यार के सिवा कुछ भी नहीं ।
वहाँ नफरत की चिनगारियों की झलक भी नहीं ।
वहाँ असमानता की खाइयाँ बिलकुल मिली नहीं ।
स्वार्थ शब्द का अर्थ एक शक्स भी जानता नहीँ ।
वहाँ जाति पांति का नामोनिशान भी मिली नहीं ।
ऐसे सुंदर स्वप्न को साकार करेंगे ।
आओ मेरे साथियो .....
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